अब नही तो कब ?
बाईबल का हमारे जीवन में क्या महत्व है? अगर इस प्रश्न को लोगों से पूछा जाये तो, बहुत से लोगों का उतर होगा, यह हमारे जीवन का आत्मिक भोजन है, या परमेश्वर की ओर से दिया गया सबसे अनमोल पुस्तक है। पवित्र बाईबल हमारे जीवन के लिए क्यों अवश्यक है?इसका सही उतर यह है कि ये हमे आत्मिक आशीष एवं परमेश्वर से जुड़े रहने के लिए पवित्र बाईबल आवश्यक है, एवं जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिए या हमारे जीवन में सही मार्गदर्शन के लिए बाईबल काफी मददगार है। तो हमें इसको प्रतिदिन पढ़ाना चाहिए। एवं इसका अध्ययन प्रतिदिन करते रहना चाहिए। लेकिन आज कल भाग-दौड़ के जीवन में लोगों के पास बाईबल पढ़ाने तक का समय नही है। ऐसे में वे परमेश्वर के आशीष से प्रतिदिन वंचित हो जाते है। हमें किसी ना किसी तरह से बाईबल पढ़ाने के लिए समय निकलना ही चाहिए।जिससे कि हम प्रतिदिन परमेश्वर का आशीष प्राप्त करे।
आईय हम एक घटना को याद करते हुए इससे कुछ सीखें। विजय और सीमा पति-पत्नी थे एवं उसके दो बच्चे थे। वे मसीही परिवार से थे। तथा वे एक मध्यम परिवार से आते थे। उनके पास एक छोटा सा अपना घर था जिसमें देा बेडरूम एवं एक किचन थे। रोहित एवं रानी जो क्रमशः 10 और 7 साल के बच्चे थे। वे लोग प्रतिदिन रविवारीय चर्च जाया करते थे। लेकिन कभी अपने साथ बाईबल या गीत की पुस्तक लेकर नही जाते थे। चर्च समाप्त होने के बाद प्रतिदिन वे पास्टर से मुलाकात करते थे। और बाईबल के संदेश के बारे मे तारीफ करते थे। पास्टर हमेशा उसको नोटिस करते थे कि वे बाईबल एवं गीत पुस्तक लेकर नही आते है। लेकिन वे कुछ नही बोलते थे । और विजय हमेशा पास्टर को बोलते थे कि कभी हमारे घर भोजन या चाय पर आईए।
एक बार की बात है कि पास्टर विजय के घर के समीप से गुजार रहे थे। तो उसने सोचा कि आज इनके घर जाया जाये । तो वे विजय और सीमा के घर का दरवाजा खटखटाने लगे। तो विजय ने दरवाजा खोला तो देखा कि पास्टर साहब दरवाजे पर है, पास्टर को देखकर विजय बहुत खुश हुआ। और उसने उसे अन्दर आने के लिए कहा। और अपने घर को देखने लगा। तो पास्टर साहब ने देखा कि उन्होंने शोकेस में अपनी बाईबल को रखा हुआ है। और उस शोकेस के आस पास बहुत ही गांदा था। देखने से लगता था कि काफी दिनों से उस स्थान की साफ सफाई नही किया गया होगा। लेकिन आश्चर्य की बात यह था कि उनके टी.वी का जो टेबल था उसके आस-पास बहुत ही अच्छी तरह से साफ सफाई किया गया है। तो पास्टर साहब समझ गये कि ये लोग कभी बाईबल नही पढ़ाते है या उनको बाईबल पढ़ाने का टाईम ही नही मिलता है। सब स्थान घुमने के बाद वे सोफा में बैठ गये और अपने हाल चाल के बारे में एक दूसरे से पूछताछ करने लगे। तभी सीमा आई और पास्टर साहब से हाथ मिलकर कहा कैसे है, पास्टर साहब ? तो पास्टर साहब ने उतर दिया मै ठीक हंू, आप कैसे है? तो सीमा ने भी उतर दिया, मैं भी परमेश्वर की दया से ठीक हूं। इसके बाद सीमा चाय बनाने किचन की ओर चली गई। विजय और पास्टर साहब बातचीत करने लगे। उसके दोनों बच्चे बेडरूम में पढ़ाई कर रहे थे। तो विजय ने दोनों बच्चों को आवाज दिया कि आओं पास्टर साहब तुम दोनो से मिलने के लिए आये है। तभी दोनो बच्चे आये और पास्टर साहब से हाथ मिलाया और वापस चले गये। इसके बाद सीमा चाय बनाकर ले आयी और पास्टर के सामने रखा दिया। सभी चाय पीने लगे। साथ में बात चीत भी करने लगे। कुछ देर के बाद पास्टर साहब ने कहा, आप सभी का बहुत- बहुत धन्यवाद, आपके इस प्रेम एवं चाय नास्ते के लिए। कुछ देर बाद पास्टर साहब ने कहा आईए हम एक छोटी सी प्रार्थना करेंगे, इसके उपरांत में यहां से विदा होउगा। तो पास्टर साहब ने कहा हम लोग एक छोटी सी गीत गाएंगे और एक बाईबल से छोटा वचन पढ़ेगे। सभी ने गीत गया और तभी पास्टर साहब ने कहा मैं आज अपना बाईबल लाना भूल गया हूं तो कृपया करके मुझ आप लोगों का बाईबल दीजिए, जिससे कि एक छोटा सा पद हमलोग पढ़ेगे। तभी विजय एवं सीमा एक दूसरे की ओर देखने लगे, तो विजय ने सीमा से कहा जाओं, शोकेस से बाईबल लेकर आओ। तो सीमा बाईबल लेने शोकेस की तरफ गई, तो देखा की बाईबल में बहुत धूल जमा हुआ था। तो वो तुरन्त किचन मे गई और बाईबल से धूल साफ करने लगी। साफ करने के बाद वो बाईबल को पास्टर साहब को दे दिया। तो पास्टर साहब ने एक पद पढ़ा और उसके बारे में एक छोटा संदेश दिया, इसके बाद अंतिम प्रार्थना किया। और कहा कि आप लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद। चाय नास्ते के लिए और अंत में पास्टर साहब ने कहा कि आप लोग बाईबल प्रतिदिन पढ़ा कीजिए, और उसे शोकेस में डाल कर मत रखीए। उसे आप सभी प्रतिदिन पढ़े।
तब विजय और सीमा को अपने इस बात पर काफी पचतावा हुआ। और तब से लेकर वे प्रतिदिन बाईबल का अध्ययन करने लगे और रविवारीय चर्च में बाईबल एवं गीत पुस्तक लेकर आने लगे। हम में से ऐसे बहुत से मसीही भी बाईबल को यूही शोकेस में रखे हुए रहते है, कभी इसका पढ़ने की जरूरत नही समझते है। हमें ऐसा नही करना चाहिए, हमें जितना हो सके बाईबल का अध्ययन करते रहना चाहिए।
तो इससे हम सभी को भी यह सीखना चाहिए कि हमें बाईबल को प्रतिदिन पढ़ाना चाहिए ना कि शोकेस में रखे रहना है। और परमेश्वर का आशीष प्रतिदिन प्राप्त करते रहना है। ना कि कभी कभार प्राप्त करना चाहिए।हमें प्रत्येक दिन परमेश्वर से आशीष प्राप्त करना चाहिए।
प्रभु में आपका भाई
मसीह दास
सच्ची प्रार्थना
कहानी
एक गांव के थोड़ी ही दूर पर एक तालाब था तालाब बहुत ही गहरा था जो कि हमेशा पानी से भरा रहता था जिसके चलते उस तालाब में रंग बिरंगे मछलियां और अनेक जीव रहते थे। मछलियां देखने में बहुत सुंन्दर लगती थी जिसके चलते गांव वाले उन मछलियों को कभी नही मारते थे और गांव के लोग उन मछलियों को आटे की गोलियां भी खिलाते थे जिसके कारण से उस तालाब की मछलियां,मेढ़क जैसे जीव बड़े शांति से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।
एक बार की बात है भयंकर सूखे के कारण बारिश नहीं हुई जिसके कारण तालाब का पानी तेजी से सूखने लगा था। जिस कारण से उस तालाब के आसपास रहने वाले जन्तु वहां से दूर जाने लगे थे जिसके कारण मछलियां अब चिंतित होने लगी थी दिन प्रतिदिन पानी तेजी से सूखता ही जा रहा था और कड़ी धुप के कारण बचा पानी भी गर्म होने लगा था जिस कारण से उस तालाब में मेढ़क और मछलियां बहुत ही व्याकुल हो गये।
सूखे के कारण अब तालाब के आस पास एकदम वीरान सा हो गया सभी पक्षी दूर चले जा रहे थे और धीरे-धीरे सारे मेढ़क भी वहां से जाने लगे लेकिन बेचारी मछलियां वह पानी के बिना कही तैर ही नही सकती तो दूर जाने का तो कोई सवाल ही नही था अब वह बेचारी मछलियां करे तो क्या करे उन्हें समझ में नही आ रहा था।
लेकिन तालाब में एक ऐसा मेढ़क भी था जो वह कही नही नही गया, जिसे देखकर मछलियां ने कहा “अरे भाई आप तो यहा से जा सकते है और अपनी जान भी ऐसे बचा सकते है ”इसपर मेढ़क ने कहा “मुझे ये अपनी जन्मभूमि बहुत ही प्यारी है इसे छोड़कर मैं कहीं नही जा सकता हूं मैंने इसी तालाब में जन्म लिया है और इसी में पलकर बड़ा हुआ हूं हर सुख दुःख में आप लोगों ने मेरा साथ दिया है तो भला इस दुःखी की घड़ी में आप लोगों को छोड़कर मै कैसे जा सकता हूं”।
इस पर मछलियों ने कहा की “हम तो मजबूर है हम आपकी तरह फुदक फुदक कर कही जा भी नहीं सकते है और ना ही पक्षियों की तरह उड़कर अपना जान बचा सकते है लेकिन तुम तो कही भी जा सकते हो और अपनी जान बचा सकते हो”।
इस पर मेढ़क ने कहा की “भला मैं तुम लोगों का साथ छोड़कर कैसे जा सकता हूं सब दिन बराबर नही होते है हर दुःख के दिन के बाद सुख के दिन जरूर आते है इसलिए हमे ईश्वर पर विश्वास करना चाहिए ईश्वर दयालु है जो सबकी सुनता है और सब पर दया भी करता है और यदि हम सभी मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करे तो ईश्वर हम सबकी फरियाद जरूर सुनेगा,इसलिए आज शाम को हम सभी मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करते है ईश्वर हमारी प्रार्थना अवश्य सुनेगा “।
और मेढ़क के कहे अनुसार सभी मछलियां शाम को ईश्वर से प्रार्थना करते है और सबके मन मे यह अटूट विश्वास था की ईश्वर उनकी जरूर सुनेगा।
और यह सब घटना उसी गांव के लड़के ने देखा तो वह सारी बात अपने गांव वालो को बताया की कैसे इस धरती के छोटे से छोटे जीव भी ईश्वर में अटूट विश्वास रखते है और हर जीव को अपने मात्भूमि से प्यार होता है जबकि हम सभी अपने छोटे-छोटे स्वार्थ के लिए एक दूसरे से लड़ते रहते है।
इसलिए हमे भी उन मछलियों की तरह ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए, इसके बाद गांव के सभी लोगों ने मिलकर सच्चे मन से ईश्वर से प्रार्थना किया और फिर ईश्वर की दया से रात होते होते आकाश बादल र्से िघरे आये और फिर बहुत जोरों से खूब बारिश हुआ और वह तालाब सहित चारो तरफ पानी ही पानी भर गया जिसके बाद फिर से चारो तरफ खुशहाली आ गयी।
सुख और दुःख के दिन हर किसी के जीवन में आता है लेकिन कभी भी दुखों से घबराकर हमे अपना धैर्य नही खोना चाहिए और ईश्वर में अटूट विश्वास रखते हुए सभी परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना चाहिए और जो लोग दुःख मे अपना धीरज नही खोते है वही लोग दुखों का सामना भी कर पाते है। अब प्रश्न यह उठता है कि हम सच्ची प्रार्थना परमेश्वर से कैसे करे? तो मेरे प्रियों हमे सबसे पहले तो हमें अपने आप को पवित्र एवं शुद्ध करना होगा,हमने जो पाप बुराई की है उन सभी को परमेश्वर के समाने मान लेना होगा। उसके उपरांत ही हम सच्ची प्रार्थना कर सकते है और परमेश्वर हमारी प्रार्थना को सुनेगा। हर एक विश्वासी को सच्चे मन से प्रार्थना करने की जरूरता है। क्योंकि सच्चे मन से किया गया प्रार्थना परमेश्वर अवश्य सुनता है। और इसका उतर भी सुनिश्चित समय मे देता है। हम मनुष्य जो इस पृथ्वी पर है उनके जीवन मे सुख
और दुःख का आना निश्चित है। लेकिन परमेश्वर इन दुःख की परिस्थिति में हम सबो की परीक्षा करता है कि इस दुःख की घड़ी में भी हम कैसे परमेश्वर की ओर अपना धैर्य बनाये हुए रहते है या नही। इस दुःख की घड़ी में हमे परमेश्वर से प्रार्थना करना है कि पिता हमे इस कठिन दुःख से हमे निजात प्रदान कीजिए। हमे परमेश्वर का साथ कभी भी नही छोड़ना चाहिए। बल्कि हर समय और हर परिस्थिति में परमेश्वर के साथ बने रहना है। क्योकि सच्चे शांति देने वाला वही है। बाईबल अध्ययन और प्रार्थना इन दो हथियार से ही हम शैतान को हरा सकते है। बाईबल मे बहुत से ऐसे उदाहरण मिलता है। जैसे
इसी प्रकार याकूब की पत्री 1 अध्याय 12-15 में इस प्रकार लिखा हुआ है।“ धन्य है वह मनुष्य जो परीक्षा में स्थिर रहता है, क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का वह मुकुट पाएगा जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों से की है।जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है, क्योंकि न जो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है। परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर और फँसकर परीक्षा में पड़ता है। फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है।”इसके साथ ही अय्यूब 5ः17-18 पद में हम देखते है जिसमें इस प्रकार लिखा हुआ है। “ देख क्या ही धन्य है वह मनुष्य ,जिसको परमेश्वर ताड़ना देता है; इसलिये तू सर्वशक्तिमान की ताड़ना को तुच्छ मत जान। क्योंकि वही घायल करता, और वही पट्टी भी बाँधता है; वही मारता है, और वही अपने हाथों से चंगा भी करता है।”इस वचन से हमें पता चलता है कि परमेश्वर हम सभी को परीक्षा में पड़ने देता है और उतना ही परीक्षा में पड़ने देता है जितना कि हम सह सके। और हमें इन परीक्षाओं से परमेश्वर निकास भी करता है। क्योंकि परमेश्वर सच्चा है।आज हम सभी को यह जांचना है कि हम परमेश्वर से किस प्रकार की प्रार्थना करते है। क्या हम सच्ची प्रार्थना कर रहे है?,या केवल नाम मात्र की प्रार्थना कर रहे है। हमारे पास बाईबल के वचन है तो हम वचन से शैतान को हारा सकते है। इसलिए हम मसीहियों को पूरी नम्र होकर,पवित्र होकर सच्ची प्रार्थना करने की आवश्कता है।
आईय हम सच्ची प्रार्थना से आधारित कुछ बिन्दुओं को देखे:-
परमेश्वर तभी कार्य करते हैं, जब हम घुटने टेकते हैं।
जब हम प्रार्थना करते हैं, तो परमेश्वर की सामर्थ्य हम में दौड़ती है, या कार्य करती है।
जब सच्चे मन और ह्नदय से प्रार्थना की जाती है, तो स्वर्ग हिल जाता है।
जो कुछ प्रार्थना में हम मांगेंगे, वह स्वर्ग में पूरा हो जाएगा।
प्रार्थना एक लड़ाई है, शैतान से और अपनी इच्छा से ।
प्रार्थना इतिहास बदलती है।
प्रार्थना के बिना हर मनुष्य अधूरा है।
जब तब मनुष्य में “मैं“ की आत्मा रहती है, वह स्वतंत्र नहीं और उसकी प्रार्थना में सामर्थ नही होती है।
प्रार्थना एक हथियार है।
प्रार्थना हमें दूसरों को समझने की शक्ति देती है।
जब हम प्रार्थना करते है, तो हम परमेश्चर के सहकर्मी बन जाते है।
परमेश्वर की यह हार्दिक इच्छा है कि मनुष्य प्रार्थना करे।
आपका मित्र
मसीह दास नाग
धुमसा टोली रांची
परमेश्वर ने मुझे सफलता प्रदान की
हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; अपने हृदय उसके सामने उंडेल दो;परमेश्वर हमारा शरणस्थान है(भजन संहिता 62ः8)
मै मसीह दास नाग आप लोगों के साथ अपनी एक गवाही बांटना चाहता हँ,जिससे मेरा और आपका विश्वास परमेश्वर पिता पर और अधिक बढ़े तथा दृढ़ हो सके। मैं विश्वास करता हूं कि जैसा परमेश्वर ने मेरे जीवन में यह आचर्यक्रर्म किया, वैसा ही आपके जीवन में भी अवश्य करेगा।
पिछले वर्ष जून 2017 में मैंने IGNOU से MA Political Science की अन्तिम वर्ष (Final Year) की परीक्षा दी। परमेश्वर की कृपा से मैंने सभी विषयों की परीक्षा बहुत अच्छी दी। परीक्षा के तीन महीने बाद अर्थात् सितम्बर माह में उस परीक्षा का परिणाम (Result) इन्टरनेट में IGNOU के वेबसाइट पर निकला। मै अपना परीक्षाफल देखने लगा।मैंने देखा कि मेरे एक विषय का परिणाम अपूर्ण (Incomplete) था। इसी विषय का पेपर चेक होकर मेरे घर डाक द्धारा पहुंच चुका था और उसमें 76 अंक मिले थे। लेकिन मेरा वह अंक परीक्षाफल में जोड़ा ही नही गया था। जिसके कारण मेरा परीक्षाफल लम्बित (Pending) हो गया था।
मैं बहुत चिन्तित हो गया कि आखिर ऐसा कैसे हो गया। मुझे बहुत बुरा लग रहा था। मैंने दुःखी मन से इस विषय के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करना शुरू किया।मैं आशिषों की बारिश टीम की प्रार्थना सभा में निरन्तर शामिल होता हँ। वहाँ भी मैंने इस विषय में प्रार्थना करवाया।
इसके बाद मैंने IGNOU के Study Center के कार्यालय में गया। वहाँ मैंने इस संबंध में जानकारी हासिल किया तो वहाँ के कर्मचारियों ने मेरा जो नम्बर आया हुआ था उसको अपने रजिस्टर में चेक करने लगे। काफी प्रयास के बाद उन्हें वह रजिस्टर मिला जिसमें नम्बर चढ़ाया जा चुका था। अतः उन्होंने मुझे रजिस्टर से एक Award list करके एक Serial नम्बर एवं Date दिया। और उन्होंने कहा इसे लेकर आप IGNOU के ऑफिस में रागिनी मेडम से इस संबंध में बात कीजिए। इसके दूसरे दिन मैं IGNOU के कार्यालय गया वहाँ मैंने रागिनी मेडम से मुलाकात की तो उन्होंने उस Award list को चेक किया तो पता चला कि जो मेरा नाम था उसे पुराने छात्रों के साथ मिलाकर List बनाई गई है इस कारण इसके सभी छात्रों का नम्बर अपलोड नही हो पाया था। रागिनी मेडम ने जिस सर ने यह लिस्ट या पेपर का मुल्याकंन किया था उनको फोन किया एवं उन्हे बहुत डांटा एवं कहा कि भविष्य में फिर कभी ऐसा गलती ना करने की हिदायत दे डाली। इसके बाद मेडम ने Assignment के First Page का फोटो कॉपी मांगी, और कहा कि आपका Urgent ही इस नम्बर को अपलोड कर दिया जायेगा। इसके बाद मैं लगातार इस विषय के लिए पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता रहा। इसके एक सप्ताह के बाद फिर मैंने अपना परीक्षाफल चेक किया तो इस समय भी Pending ही दिखा रहा था ।मैं और दुःखी हो गया इसके बाद मैंने दूसरा email के माध्यम से दूसरी बार एक मेल IGNOU के Email ID पर भेजा उसमें मैनें उस असाइनमेन्ट का फस्ट पेज जिसमें मेरा नम्बर अंकित था एवं जो मैंने असाइनमेन्ट जमा किया था उसका रसीद को ईमेल के माध्यम से अस्टेजमेन्ट ( Attachement ) कर भेज दिया। इसके बाद मैं तीन दिन बाद पुनः चेक किया तो देखा कि इस बार पूर्ण रूप से सभी सब्जेट में मै पास हो चुका था। उसी समय मैंने परमेश्वर पिता को धन्यवाद दिया। उसके तीन दिन बाद मेरे घर में अंक प्रमाण पत्र (Mark Sheet) एवं Provisonal Certificate मेरा घर आ गया। और इसमें मैं 1st Divison से पास हो गया। इन सारी बातों एवं कार्यो के लिए परमेश्वर पिता को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं। ये सभी आश्चर्यक्रर्म परमेश्वर की ओर से ही हो पाया है। वह हमारी प्रार्थनाओं को सुनने वाला परमेश्वर है। सारी माहिमा उसी को मिले।
धन्यवाद।
श्री मसीह दास नाग
ढुमसा टोली, रांची (झारखण्ड)।